The best Side of hindi kahani
The best Side of hindi kahani
Blog Article
hindi kahani
अपने बच्चे को देखकर बकरी ने सलीम पर जोरदार प्रहार किया। काफी समय सलीम को मशक्कत करते हो गई , किंतु बकरी के प्रहार को रोक नहीं पाया। एकाएक अनेकों प्रहार बकरी करती रही।
उन मछलियों में से एक मछली दोस्त आलसी थी।
बकरी ने अपना जीवन दाव पर लगाकर सलीम पर प्रहार किया था।
'' स्त्री का स्वर आया — ''करके तो देख! तेरे कुनबे को डायन बनके न खा गई, निपूते!'' डोडी बैठा न रह सका। बाहर आया। ''क्या करता है, क्या करता रांगेय राघव
राजू दूसरी क्लास में पढ़ता है। उसकी मैडम ने मक्खियों के कारण फैलने वाले बीमारी को बताया।
दादा जी ने देखा दोनों बिल्ली के बच्चे भूखे थे। दादा जी ने उन दोनों बिल्ली के बच्चों को खाना खिलाया और एक एक कटोरी दूध पिलाई। अब बिल्ली की भूख शांत हो गई। वह दोनों आपस में खेलने लगे। इसे देखकर ढोलू-मोलू बोले बिल्ली बच गई दादाजी ने ढोलू-मोलू को शाबाशी दी।
मैं अमीर नहीं हूँ। बहुत कुछ समझदार भी नहीं हूँ। पर मैं परले दरजे का माँसाहारी हूँ। मैं रोज़ जंगल को जाता हूँ और एक-आध हिरन को मार लाता हूँ। यही मेरा रोज़मर्रा का काम है। मेरे घर में रुपये-पैसे की कमी नहीं। मुझे कोई फ़िकर भी नहीं। इसी सबब से हर रोज़ मैं निज़ाम शाह
मरने के पहले पागल बिशन सिंह की गाली, भारत और पाकिस्तान के लहूलुहान बंटवारे पर एक ऐसी टिप्पणी बन जाती है, जो अब विश्व कथा साहित्य में एक गहरी, मार्मिक, अविस्मरणीय मनुष्यता की चीख़ के रूप में हमेशा के लिए उपस्थित है :
एक दिन जब रामकृष्ण परमहंस गांव लौट कर आए।
स्कूल में लेट होने के कारण मैडम डांट भी लगाती थी।
यह कवच विशाल को कुछ दिनों में भारी लगने लगा। उसने सोचा इस कवच से बाहर निकल कर जिंदगी को जीना चाहिए। अब मैं बलवान हो गया हूं , मुझे कवच की जरूरत नहीं है।
तुम अच्छे से पढ़ाई करो और अगली बार परेड में निश्चित रूप से भाग लेना।
मनोरम नामक वन में एक बहुत ही सुंदर बड़ा सा तालाब था। तालाब चारों ओर से सुंदर-सुंदर वृक्षों वह फूल-पौधों से घिरा हुआ था। तालाब के भीतर मखाने वह सिंघाड़े के पौधे लगे हुए थे। तलाब में सदैव पानी की मात्रा बनी रहती थी, क्योंकि उसके निकट से एक स्वच्छ कल-कल धारा वाली नदी प्रवाहित होती थी। एक समय की बात है दो मछुआरे मनोरम वन में विश्राम कर रहे थे, तभी उन्होंने देखा उस तालाब में खूब सारी मछलियां उपलब्ध है।
गांव के लोग भी बिना डरे उस वृक्ष के नीचे जाने लगे।